नई दिल्ली:आर्थिक वृद्धि दर में कमी और मुद्रास्फीति के नीचे आने के बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक पांच दिसंबर को दो महीने की मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों में बदलाव नहीं करेगा. इस बात की राय विशेषज्ञों ने जताई है. जून से केंद्रीय बैंक ने नीतिगत दरों में लगातार दो बार वृद्धि की है. उसके बाद अक्टूबर में केंद्रीय बैंक ने बाजार को हैरान करते हुए ब्याज दरों को वैसे ही रखा था, जबकि रुपए में गिरावट और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों की वजह से मुद्रास्फीतिक दबाव के चलते उम्मीद की जा रही थी कि केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में वृद्धि करेगा. उस समय रेपो रेट को 6.50 फीसद पर कायम रखा गया था.


रेपो रेट क्या है?
रिजर्व बैंक दूसरे वाणिज्यिक बैंकों को जिस दर पर ऋण देता है उसे रेपो रेट कहते हैं. रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की छह सदस्यीय समिति की बैठक तीन दिसंबर से हो रही है. यह चालू वित्त वर्ष की पांचवीं द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक होगी.


एमपीसी के फैसले की घोषणा पांच दिसंबर को होगी. कोटक रिसर्च ने कहा कि केंद्रीय बैंक ब्याज दरों के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रखेगा. कोटक ने कहा कि उम्मीद से नरम मुद्रास्फीति की वजह खाद्य महंगाई में कमी है क्योंकि ज्यादातर खरीफ फसलों का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम है.


इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (फिच ग्रुप) के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत ने कहा कि साल 2018-19 की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर अब भी 7.3 फीसदी रह सकती है. इससे रिजर्व बैंक को ब्याज दरों को ना बदले जाने की गुंजाइश मिलेगी.


अक्टूबर में उफभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति एक साल के निचले स्तर 3.31 फीसदी पर आ गई है. सितंबर में यह 3.7 फीसदी और अक्टूबर, 2017 में 3.58 फीसद थी.


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